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उदयपुर जिले में नाबालिग लड़कियों की गुमशुदगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ताजा घटनाओं ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहला मामला वल्लभनगर थाना क्षेत्र का है, जहां एक किशोरी 13 अक्टूबर से घर से लापता है। परिजनों ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर हर जगह तलाश की, रिश्तेदारों और दोस्तों से भी पूछताछ की, लेकिन लड़की का कुछ पता नहीं चला। आखिरकार, थकहारकर मंगलवार को उन्होंने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। दूसरा मामला जिले के पानरवा थाना क्षेत्र का है। यहां एक नाबालिग लड़की 21 अक्टूबर को अपने रिश्तेदार के घर गई थी, लेकिन वहां भी नहीं पहुंची। जब देर शाम तक वह घर नहीं लौटी तो परिजनों ने उसकी खोज शुरू की। हर जगह तलाश करने के बावजूद जब कोई सुराग नहीं मिला तो परिवार ने मंगलवार को पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई। दोनों ही मामलों में पुलिस ने गुमशुदगी के प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वल्लभनगर और पानरवा थाना पुलिस आसपास के इलाकों, बस स्टैंडों और सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुटी है। उधर, इन घटनाओं के बाद परिजनों में गहरा आक्रोश और भय का माहौल है। लोगों का कहना है कि हाल के महीनों में जिले में कई नाबालिगों के लापता होने के मामले सामने आए हैं, लेकिन अब तक ज्यादातर मामलों में ठोस नतीजे नहीं मिले। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे मामलों में सख्त और तेज कार्रवाई की जाए ताकि बेटियां सुरक्षित रह सकें।
उदयपुर की रानी रोड पर सोमवार सुबह पुलिस विभाग की एएसआई पदोन्नति दौड़ के दौरान एक हादसा हो गया। झाड़ोल थाने में तैनात हेड कांस्टेबल जब्बर सिंह फिजिकल टेस्ट के तहत आयोजित दौड़ में शामिल हुआ था। दौड़ के दौरान जब वह ट्रैक पर आगे बढ़ रहा था, तभी अचानक उसकी तबीयत बिगड़ी और वह बेहोश होकर गिर पड़ा। मौके पर मौजूद अन्य पुलिसकर्मी तुरंत उसकी मदद के लिए दौड़े और उसे संभालने की कोशिश की। अधिकारियों ने बिना देर किए जब्बर सिंह को पुलिस वाहन से एमबी अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां मौजूद चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि हेड कांस्टेबल को संभवतः हार्ट अटैक आया होगा, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस विभाग में शोक की लहर दौड़ गई। साथी जवानों और अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की। वहीं शव को एमबी अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। परिजनों को सूचना दे दी गई है और उनके आने के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह फतहसागर किनारे रानी रोड पर एएसआई पदोन्नति के लिए दौड़ आयोजित की गई थी। इसमें कई पुलिसकर्मी भाग ले रहे थे। लेकिन यह परीक्षा झाड़ोल में तैनात हेड कांस्टेबल जब्बर सिंह की जिंदगी की आखिरी परीक्षा बन गई। पुलिस प्रशासन ने घटना की रिपोर्ट तैयार कर वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दी है।
सलूंबर जिले के झल्लारा थाना क्षेत्र के धोला काकर गांव में रविवार शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ। गांव के ही तीन मासूम बच्चे, जिसमें दो सगी बहनें माया और खुशबू मीणा, और पड़ोसी लोकेश नहाने के लिए पास के कुएं पर गए थे। बारिश के बाद कुएं में पानी पूरी तरह भर चुका था। बताया जा रहा है कि नहाते समय अचानक एक बच्चे का पैर फिसल गया और वह गहराई में चला गया। बाकी दोनों बच्चे उसे बचाने के लिए कुएं में कूद पड़े, लेकिन तीनों गहराई में डूब गए। मृतकों की उम्र 12 से 14 साल के बीच बताई जा रही है। शाम तक जब बच्चे घर नहीं लौटे तो परिजनों को चिंता हुई। उन्होंने गांव वालों के साथ मिलकर तलाश शुरू की, लेकिन जब कुएं के पास पहुंचे तो वहां चप्पलें और कपड़े पड़े मिले। कुछ देर बाद तीनों के शव पानी में तैरते दिखाई दिए। सूचना मिलते ही झल्लारा थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शवों को कुएं से बाहर निकलवाकर सलूंबर अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया। सोमवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। घटना के बाद पूरे गांव में मातम छा गया है। वहीं परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है
पुलिस विभाग में शनिवार देर रात बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल किया गया। पुलिस मुख्यालय जयपुर की ओर से जारी सूची में 180 उप पुलिस अधीक्षकों के तबादले शामिल हैं। इनमें से 10 तबादले सीधे तौर पर उदयपुर से जुड़े हैं।इस आदेश के तहत आरपीएस गोपाल चंदेल को गिर्वा का नया सर्कल ऑफिसर बनाया गया है, जबकि डूंगरसिंह को कोटड़ा और विवेक सिंह को झाड़ोल का चार्ज सौंपा गया है। इसी तरह राजेश यादव को सीओ उदयपुर पश्चिम लगाया गया है। वहीं, नीतू सिंह को एससी-एसटी सेल और विनय चौधरी को साइबर क्राइम में भेजा गया है। इस सूची में विवादों में रहे डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़ का तबादला गिर्वा से पाली जिले के एससी-एसटी सेल में किया गया है। राठौड़ लंबे समय से उदयपुर में पदस्थापित थे और कई अहम कार्रवाइयों के लिए चर्चा में रहे हैं। उनके तबादले को लेकर पुलिस महकमे में हलचल देखी जा रही है। इसके अलावा कैलाशचंद्र खटीक को अजमेर के एससी-एसटी सेल, महिपाल सिंह को बांसवाड़ा के कुशलगढ़, और नेत्रपाल सिंह को राजसमंद में नई जिम्मेदारी दी गई है। बताया जा रहा है कि यह फेरबदल पुलिस विभाग में लंबे समय से लंबित ट्रांसफर-लिस्ट का हिस्सा है। इससे पहले शनिवार को ही 563 निरीक्षकों के तबादले भी किए गए थे, जिन्हें हाल ही में पदोन्नति मिली थी। इस बड़े प्रशासनिक बदलाव से उदयपुर रेंज की पुलिस व्यवस्था में नई ऊर्जा के साथ-साथ नए नेतृत्व के आने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, कुछ तबादलों को लेकर विभागीय हलकों में चर्चा भी तेज है। आपको बता दे कि डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़ हालही में एक प्रदर्शन के दौरान लोगों को गाली देते हुए और लाठी चार्ज की धमकी के मामले में विवादों में आ गए थे। घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर जाम कर वायरल हुआ था। इसके बाद उनके खिलाफ कार्यवाही को लेकर लगातार मांग भी उठी थी
उदयपुर जिले के टीडी थाना क्षेत्र में रविवार रात उस वक्त सनसनी फैल गई, जब 17 वर्षीय किशोर आशीष मीणा का शव घर के पीछे निर्माणाधीन मकान में फंदे से लटका मिला। रात के सन्नाटे में हुई इस घटना का पता तब चला जब सुबह मां और छोटे भाई ने टॉर्च की रोशनी में शव देखा। परिवार के लोगों ने तत्काल सरपंच और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण कर शव को एमबी अस्पताल भिजवाया, जहां मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम किया गया। परिजनों का कहना है कि आशीष को साल 2024 में एक चोरी के मामले में आरोपी बनाया गया था। उस समय वह नाबालिग था, फिर भी उसे छह महीने जेल में रहना पड़ा। जमानत पर छूटने के बाद भी पुलिस अक्सर उसे संदिग्ध मानकर पूछताछ के लिए उठा ले जाती थी। परिवार का आरोप है कि इस निरंतर प्रताड़ना ने उसे मानसिक रूप से तोड़ दिया। पिता ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि “मेरा बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उसकी मौत के जिम्मेदार वे लोग हैं जिन्होंने उसे बार-बार डराया और अपमानित किया।” गांव में घटना के बाद लोगों में आक्रोश है और ग्रामीणों ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं, पुलिस अधिकारियों ने कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी गई है। फिलहाल पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जांच के नाम पर हो रही कथित प्रताड़ना किसी निर्दोष की जान लेने तक पहुंच सकती है।